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Contribution of Buddhisms Dhammacakkappavattana Sutta to World Peace and Human Development
Author Name

Karmvir, Dr. Srida Jha and Dr. Champalal Mandrele

Abstract

तथागत गौतम बुद्ध ने मानवता को अंधविश्वास, कर्मकांड, हिंसा और अशांति से मुक्त करने के लिए धम्मचक्कपवत्तन सुत्त के माध्यम से जीवन का नया दृष्टिकोण प्रदान किया। सारनाथ में पंचवर्गीय भिक्षुओं को दिया गया यह प्रथम उपदेश चार आर्यसत्यों और अष्टांगिक मार्ग पर आधारित है। इसमें उन्होंने दुःख, उसके कारण, उसके निरोध तथा उसके निरोध के मार्ग की व्याख्या की। इस उपदेश का मूल भाव है—अंधविश्वास और तृष्णा से मुक्ति, अहिंसा, करुणा तथा समता की स्थापना। प्रतीत्यसमुत्पाद का सिद्धांत मानव को यह समझाता है कि सब कुछ परस्पर कारण-परिणाम से जुड़ा है, जिससे जीवन की वास्तविकता स्पष्ट होती है। धम्म का यह ज्ञान केवल आध्यात्मिक मुक्ति ही नहीं, बल्कि सामाजिक समरसता, समानता और न्याय को भी बढ़ावा देता है। विश्व शांति एवं मानव विकास की दिशा में बुद्ध का यह धम्मचक्कपवत्तन सुत्त आज भी सार्वकालिक और प्रासंगिक है।

मुख्य शब्द: धम्मचक्क, अंधविश्वास, दुःख का कारण, तृष्णा, भवचक्र, प्रतीत्यसमुत्पाद।



Published On :
2025-09-06

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