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Impact of Workplace Sexual Harassment (POSH Act) on Society
Author Name

Ms. Pooja Negi, Dr. Devendra Singh Bish and Dr. Homesh Rani

Abstract

कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न (POSH अधिनियम, 2013) एक संवेदनशील और महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दा है, जो न केवल महिलाओं की सुरक्षा और गरिमा से जुड़ा है, बल्कि कार्यक्षमता, मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक विकास पर भी गहरा प्रभाव डालता है। प्रस्तुत शोध में मिश्रित शोध पद्धति के माध्यम से POSH अधिनियम के प्रभावों का विश्लेषण किया गया है। शोध के अंतर्गत साक्षात्कार, सर्वेक्षण, केस स्टडी और कानूनी दस्तावेजों की समीक्षा के माध्यम से विभिन्न क्षेत्रों से आंकड़े एकत्र किए गए। हल्द्वानी, रुद्रपुर, देहरादून और दिल्ली के संगठनों—जैसे IT, बैंकिंग, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, और सरकारी कार्यालय—को इस अध्ययन में शामिल किया गया। कुल प्रतिभागियों में 60% महिलाएँ और 40% पुरुष शामिल थे। शोध के प्रमुख निष्कर्षों से स्पष्ट होता है कि POSH अधिनियम ने महिलाओं के लिए कार्यस्थलों को अधिक सुरक्षित और संरक्षित बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। खासकर कॉर्पोरेट और संगठित क्षेत्रों में आंतरिक शिकायत समितियों (ICC) और प्रशिक्षण कार्यक्रमों की प्रभावी स्थापना की गई है। महिलाएँ अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हुई हैं और उत्पीड़न के विरुद्ध आवाज उठाने में अब अधिक सक्षम हैं। हालांकि, छोटे, असंगठित एवं ग्रामीण क्षेत्रों में POSH अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन में कई चुनौतियाँ अब भी बनी हुई हैं। साथ ही, कुछ मामलों में इसके दुरुपयोग की घटनाएँ भी सामने आई हैं, जिससे कार्यस्थल पर तनाव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। कुल मिलाकर, यह अधिनियम महिलाओं को सम्मानजनक कार्य वातावरण देने की दिशा में एक सशक्त पहल है, जिसे और अधिक प्रभावी बनाने के लिए सामाजिक जागरूकता, प्रशिक्षण, और निगरानी की निरंतर आवश्यकता है।

मुख्य बिंदु (key words): यौन उत्पीड़न, विशाखा दिशानिर्देश, आंतरिक शिकायत समिति, स्थानीय शिकायत समिति, इलेक्ट्रॉनिक बॉक्स (शी बॉक्स)



Published On :
2025-04-16

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