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अरुण कमल की कविताओं में सामाजिक यथार्थ और जनपक्षधरता |
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Author Name Nitu Kumari and Dr. Poonam Lata Middha Abstract समकालीन हिंदी कविता में अरुण कमल का नाम उन कवियों में लिया जाता है जिन्होंने कविता को समाज और जीवन के संघर्ष से गहराई से जोड़ा। उनकी कविताएँ केवल व्यक्तिगत अनुभूतियों या सौंदर्यबोध का माध्यम नहीं, बल्कि जनता के जीवन, पीड़ा, संघर्ष और आकांक्षाओं की सशक्त अभिव्यक्ति हैं। अरुण कमल की कविताएँ शोषण, असमानता और सामाजिक विषमता को रेखांकित करती हैं, साथ ही उनमें संघर्ष से उपजी आशा और बेहतर भविष्य का विश्वास भी दिखाई देता है। इस शोध आलेख का उद्देश्य अरुण कमल की कविताओं में सामाजिक यथार्थ और जनपक्षधरता के स्वर का अध्ययन करना है। विश्लेषण से स्पष्ट होता है कि वे अपनी कविताओं को सामाजिक चेतना और परिवर्तन के औजार के रूप में देखते हैं और जनता की आवाज़ को साहित्यिक धरातल पर प्रस्तुत करते हैं। ✦ मुख्य शब्द (Keywords) सामाजिक यथार्थ ,जनपक्षधरता ,समकालीन हिंदी कविता,संघर्ष और चेतना ,शोषित वर्ग Published On : 2022-11-30 Article Download : ![]() |